ज़िंदगी के सबसे कीमती लम्हे वो होते हैं जब नम आंखों को पोछने के लिए ताली बजाते हाथों की मदद लेनी पड़े। इन लम्हों को मयस्सर कराया है कबीर खान ने और इसका जरिया बनी है स्पोर्ट ड्रामा मूवी '83'।
1983 में खेला गया ये मैच मेरी याददाश्त में नहीं मगर बरसों तक चढ़े रहे इसके खुमार के तमाम मंज़र आज भी दिल और दिमाग़ में महफूज़ है। हालात को देखते हुए इसे फोटो जर्नलिज़्म की कंगाली का दौर कहा जा सकता है क्यूंकि तब डीआरएस और ड्रोन कैमरा तो दूर मैच की ख़ास तस्वीरें ही मुहैया होना बड़ी बात रही होगी। मगर कैमरे की बदौलत कैद हुए जितने भी लम्हे थे, वो सब हज्जाम और चाय की दुकान से लेकर स्टेशनरी के सामान पर बरसों बरस छाये रहे थे।
स्पोर्ट्स स्टार और क्रिकेट सम्राट जैसी मैगज़ीन इस बात पर बिक जाती थीं कि इस बार बीच के पन्ने पर किस खिलाड़ी की तस्वीर निकली है। ये एक्शन तस्वीर दुकान, घर और हॉस्टल की दीवारों की सजावट हुआ करती थी।
तब फिरंगियों के दिए ज़ख्मों के चश्मदीद गवाह मौजूद थे और सरहद पार की खलिश को नासूर बनाने की कोई कोशिश नहीं की गई थी। मैच के अच्छा या बुरा होने पर उनकी बीवियों को राष्ट्रीय चुड़ैल घोषित करने वाली नस्ल भी वजूद में नहीं आई थी। इतिहास में खुरपेंच तलाशकर नायिकाओं को शूर्पणखा बना देने वाली सेनाओं का उदय हुआ था।
कबीर खान ने अपनी पूरी सलाहियत इतिहास के इस सुनहरे हिस्से के रिक्रिएशन में झोंक दी है। जिस बारीकी से उन्होंने स्पोर्ट ड्रामा और उससे जुड़ी दुनिया की रिसर्च की है वो क़ाबिले तारीफ है। और इतनी ही तारीफ के हक़दार हैं फिल्म के अहम किरदार कपिल देव यानी रणवीर सिंह। मेकअप के परफेक्शन ने बाल और दांत ही नहीं आंखों की रंगत तक के साथ इंसाफ किया है। कपिल की तरह ही अलफ़ाज़ अदायगी से लेकर कर उनकी नटराज शॉट तक को जिस तरह रणवीर ने जिया है उसके लिए लाजवाब और बेमिसाल लफ्ज़ छोटे हैं। यहां कपिल हीरो ज़रूर हैं मगर फिल्म का फ्रेम हर किरदार को बराबर की अहमियत देता है। शूटिंग के इस गुज़रते फ्रेम में कब 1983 की असली वीडियो क्लिप या तस्वीर आकर गुज़र जाती है, उससे कहीं भी फिल्म के फ्लो में कोई जर्क नहीं आता बल्कि इतिहास का ये गोता दिल जीत लेता है।
यादों की राहों से गुज़रती फिल्म तंग गलियों के सफर पर चलती हुई अपनी स्क्रिप्ट में बहुत कुछ समेट लेती है। मज़हब, जात और ओहदे से परे ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविज़न का रुख किये हिन्दुस्तानियों के झुंड के झुंड। रेडियो नेटवर्क की हदों को तलाशते हिमालय पर मुस्तैद फौजी। स्पॉन्सर्ड स्टिकर से पाक यूनिफार्म वाले खिलाड़ियों के जज़्बे, उनकी मुफलिसी की दास्तान के साथ जीत का जश्न दिलों को तरल और आंखों को नम करने में कामयाब है। खासकर उस दर्शक वर्ग को 83 ज़रूर देखनी चाहिए जो इस मैच का गवाह रहा है।
हालांकि कबीर खान ने वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों की दहशत का इंट्रोडक्शन बहुत बेहतरीन दिया है मगर परदे पर उनका डील डौल और हाव भाव कुछ हल्का रह गया है। विव रिचर्ड, माइकल होल्डिंग और मेल्कम मार्शल के आगे हर खिलाड़ी बच्चा ही नज़र आता था। पहले दो वर्ड कप जीत चुकी वेस्टइंडीज़ की मदमस्त टीम और उसके सामने नौसिखिया नज़र आती कपिल की कैप्टेंसी वाली भारतीय टीम। जहां कपिल के अंदर एक जट्ट कॉन्फिडेंस भी है और अपने साथ मौजूद सात सीनियर खिलाड़ियों को नसीहत न कर पाने की झिझक भी। फिल्म का ये हिस्सा भी बखूबी परदे पर उभरा है। क्रिकेट पंडितों की एनालिसिस के नाम पर भारतीयों की बेकद्री और फोरकास्ट के नाम पर वेस्टइंडीज़ के हिस्से में बेताज बादशाही। और इन सबके बावजूद अपनी कट टू कट अंग्रेजी में 'वी हेयर टू विन' वाला कपिल का मज़बूत इरादा। पंकज त्रिपाठी ने पीआर मान सिंह बनकर सपोर्टिंग किरदार का लोहा मनवाया है। पूरी फिल्म में लगातार बोलने वाले बोमन ईरानी ने फ़ारूख़ इंजीनियर की अदाकारी को जीत के मौके पर ख़ामोश रहकर अमर कर दिया है। रोमी देव बनी दीपिका पादुकोण ने एक अच्छे प्रोडक्शन के साथ अच्छी अदाकारी की है।
लोगों को ये फिल्म इसलिए भी देखनी चाहिए क्योंकि इतिहास की इस ताज़ा मिसाल में हिन्दुस्तानियों से अंग्रेज़ों की नफरत की तमाम दलीलें मौजूद हैं, और इस नफरत का फोकस पश्चिम से घुमाकर किस तरह उत्तर की सरहदों में सेट कर दिया गया है। और इसलिए भी देखनी चाहिए कि किन अनदेखियों ने सादगी और जज़्बात की आगोश में रहने वाले खेल को सट्टे और बाज़ार की पनाह में पहुंचा दिया है।
देख लेंगे...
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हटाएंगज़ब लिखती हैं समीना जी। लाजवाब!
जवाब देंहटाएंआपको अच्छा लगा ये मेरे लिए खुशी की बात है।
हटाएंYes will see it that too in hall
जवाब देंहटाएंAnd please reply whatever you feel.
हटाएंबेशक
जवाब देंहटाएं🙏
हटाएंउम्दा✍️👍
जवाब देंहटाएंशुक्रिया 💐
हटाएंNice blog👍
जवाब देंहटाएंThank you 💕
हटाएंVery nice mam
जवाब देंहटाएंThank you 💕
हटाएंबहुत गहराई से लिखा है सभी खास खिलाड़ियो के नाम यादके लिखना व जर्क जैसे शब्दों का क्रिकेटी प्रयोग बहुत शानदार लगा पढ़कर, फिल्म अब जरूर देखेगें
जवाब देंहटाएंआपने जिस गहराई से पढ़ा और apn नज़रिया बयान किया उसके शुक्रगुजार हैं।
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