शनिवार, 13 जनवरी 2024

जल सहेलियां

शिखा श्रीवास्तव ने करीब ढाई दशक अखबार में काम किया। उस अखबार में जिसके एक से दो दर्जन पन्ने होते हैं। कई सारे एडिशन होते हैं और हर पन्ने की एक अलग दुनिया होती है। इस पूरा अरसा शिखा एक ही अखबार में रही। बेशक इस बीच कई पन्नों से उसका वास्ता पड़ा होगा। कभी फीचर तो कभी चुनाव की रिपोर्टिंग, कभी पॉलिटिकल रिपोर्टिंग और एनालिसिस तो कभी खालिस गिटपिट अंग्रेजी वाली बड़ी-बड़ी ग्लोबल कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, सिम्पोज़ियम की ऑफ बीट रिपोर्टिंग। लगभग हर फील्ड की दिग्गज हस्तियों से बात-मुलाकात और साक्षात्कार। सूबे में कहीं भी कवरेज के लिए भेज दिए जाने पर एक्सक्लूसिव स्टोरीज़। खैर, इन सबके बीच अखबार वाले लेखन की पहली पारी पूरी हुई।


हर दिन बेशुमार अल्फ़ाज़ और विचारों के साथ काम करते हुए कुछ ऐसा था, जो करना रह गया था। फिर वह वक़्त आया जब इस 'कुछ' को करने का मौक़ा निकाला गया। लेखन की इस दूसरी पारी में शिखा एस ने इस क़र्ज़ को अदा करने की कोशिश की और इस कोशिश के नतीजे में सामने आयी उसकी किताब 'जल सहेलियां'।

अभी शिखा एस की किताब को पढ़ा नहीं है इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। मगर इस बुक लॉन्च में जाना भी एक गज़ब का तजुर्बा रहा। एक जनवादी की नज़र में ये बुक लॉन्च बड़ा ही भव्य था, मगर इसकी भव्यता की जगमग में जो हाइलाइट हो रहा था वह थीं 'जल सहेलियां'। 

इन ज़मीनी हस्तियों के साथ लोकशाही, राजशाही और मीडिया के दिग्गजों का डेडली कॉम्बिनेशन भी पहली बार देखा। पहली बार देखा, इन जल सहेलियों के संघर्षों को सामने लाने के तमाम प्रयास। इसमें शिखा से राज कुमार सिंह जी की बातचीत, अरशाना के नवीन जोशी सर और पार्थ सारथी सेन के हवाले से किताब के कंटेंट की चीरफाड़,  प्रीती चौधरी जी ने तो बीच में आकर श्रोता और जल सहेलियों के बीच की दीवार ही हटा दी। अरशाना की किस्सगोई कमाल की थी। किस्सों ने इन संघर्षों का इतिहास और भूगोल सब सामने ला दिया था। हमें भी आशुतोष मिश्रा के साथ किताब के कुछ अंश पढ़ने का मौक़ा मिला। पूरे कार्यक्रम की प्रमुख किरदार रहीं जल सहेलियां अपने लोकनृत्य के साथ शो स्टॉपर बनीं।

शिखा और सभी वालेंटियर्स को इस पूरे कार्यक्रम के लिए बधाई और शुभकामनाएं। ग्रे पैरट पब्लिशर्स को ख़ास शुभकामनाएं मगर उससे भी एक डिग्री ऊपर की शुभकामना टीम लीडर अविनाश जी को, जिन्होंने इस पूरे कार्यक्रम की सरपरस्ती की। एक बधाई इस बात की भी कि मेरी शिखा और अविनाश सर की दोस्ती चौथाई सदी पुरानी हो चुकी है।

अलल-टप

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