गुरुवार, 3 अगस्त 2023

सिस्टर बानो

 बात साल 2000 की है। हमें हिन्दुस्तान अखबार में काम करने का मौक़ा मिला। उन दिनों ख़बरों को तलाशना और लिखना सीख रहे थे। मेरी बीट मेडिकल थी। कजीएमयू उस ज़माने में यूनिवर्सिटी नहीं बना था और केजीएमसी के नाम से जाना जाता था। यहां क्वीन मेरी हॉस्पिटल का एक वार्ड है एनएनयू। ये बिलकुल छोटे बच्चों का वार्ड था। पैदाइश के बाद अगर किसी बच्चे को कोई कॉम्प्लिकेशन होता तो कुछ देर के लिए यहां रखते और रिपोर्ट्स नार्मल मिलने पर बच्चे को मां के पास बेड पर शिफ्ट कर दिया जाता। कोई मसला होने पर बच्चा पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट रिफर कर दिया जाता था।


किसी ख़ास खबर की तलाश में उस दिन एनएनयू की तरफ आना हुआ। वार्ड से पहले सिस्टर्स का कमरा था। कमरे में सिस्टर बानो और सिस्टर मेहदी के अलावा भी कोई और था। सरकारी अस्पताल का सफ़ेद लोहे का झूला और उसमे एक नन्ही, प्यारी सी बच्ची। सिस्टर के रूम में झूला और बच्ची को देखकर लगा कि शायद यहां के किसी स्टाफ का है। सिस्टर बानो इस बच्ची को कटोरी चम्मच की मदद से दूध पिलाने की कोशिश कर रही थीं और सिस्टर मेहदी इस काम में उनकी मदद।

सिस्टर बानो के नाम से मशहूर इंचार्ज का पूरा नाम अर्जुमंद बानो था और सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक की अपनी ड्यूटी में उनके डिपार्टमेंट का निज़ाम वैसा ही दुरुस्त रहता था, जैसा ब्रिटिश हुकूमत के दौर का सुना है।

बच्ची के बारे में पूछने पर जो किस्सा सामने आया उसके मुताबिक़ ये बच्ची अपने मां -बाप की लगातार चौथी बेटी बनकर उनके परिवार में आई थी। भर्ती के वक़्त बच्ची के बाप ने पते में मलिहाबाद का जो ठिकाना बताया था वह फ़र्ज़ी निकला। पैदाइश के बाद बड़ी ही ख़ामोशी से ये मां बाप बच्ची को अस्पताल के बेड पर अकेला छोड़ कर ऐसा गए कि फिर किसी ने उन्हें नहीं देखा। ग़ुरबत में चौथी बेटी को छोड़ने का फैसला मां- बाप दोनों का था या किसी एक का, यह भी कोई नहीं जान सका।

उस दिन के बाद से यह बच्ची एनएनयू वार्ड में सिस्टर बानो की सरपरस्ती में पल रही थी। सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे सिस्टर बानो इसका ख्याल रखती और बाक़ी दिन की ज़िम्मेदारी बदलती शिफ्ट के साथ बदलती रहती। तमाम नर्सें, आया और डॉक्टर आते जाते इसे खिलाते। हर कोई इसे हाथों हाथ लिए था। कुछ नाम भी रखा था जो अब हमें याद नहीं।

मेरे लिए ये एक ख़ास खबर थी। फ्रंट पेज पर बाईलाइन। उस वक़्त डाक्टर पुष्पा महाजन बतौर हेड वहां की ज़िम्मेदारी संभाले थीं। उनसे भी बात हुई थी और खबर में उनका स्टेटमेंट भी था। खबर छपने के साथ ही बच्ची को गोद लेने वालों का हुजूम लग गया। क़ानूनी खानापूरी के बाद जल्दी ही बच्ची को नए मां बाप मिल गए। आज वह बच्ची 23 बरस की होगी। अपने मौजूदा मां-बाप को ही शायद असली समझती हो या मुमकिन है उसे हक़ीक़त पता हो। मगर उसे यह नहीं पता होगा कि जिस सिस्टर बानो ने एक महीने अपनी सरपरस्ती में उसकी परवरिश की, वह कल इस दुनिया से चली गईं।

एक खबर की तलाश में हम सिस्टर बानो की इस खूबी को जान सके। ना जाने उनकी ज़िंदगी में नेकी भरे कितने और ऐसे किस्से होंगे जो आज उनके साथ दफन हो गए। हम खुद को इस किस्से का ज़िक्र करने से न रोक सके।

सिस्टर इंचार्ज अर्जुमंद बानो ने इस अस्पताल को 35-40 बरस दिए। अपनी ड्यूटी के वक़्त उनकी मुस्तैदी और कड़क अंदाज़ की बदौलत निज़ाम का दुरुस्त रहना लाज़िमी था। ऐसा सरकारी अस्पताल जहां मरीज़ों की तादाद सहूलियतों से कई गुना ज़्यादा होती है, वहां मोर्चा संभालना आसान नहीं था। सिस्टर बानो की सलाहियतों की बदौलत अस्पताल ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी न छोड़ने का फैसला किया। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने दुबारा मोर्चा संभाला और इस बार उनकी ड्यूटी ट्रामा सेंटर जैसी जगह पर रही। कोविड के दिनों में भी सिस्टर बानो ने अपना फ़र्ज़ पूरा किया। मेरी फ़ोन लिस्ट में आज भी उनका नाम corona योद्धा के नाम से महफूज़ है।


4 टिप्‍पणियां:

  1. Allah unke kaam ki jaza e khair de aur unki hannat mein aa'la maqaam ata kare... Aameen

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  2. Duniya me kitney he log apney hissey ki khidmaten aur nekiyan kr ke gumnaam Allah ko pyarey ho jatey hain unki nekiyon ka sila Allah ke siwa koi nahi de sakta mgr unki yaad logon ke dil me mahfooz ho jati hain jo unkey rabtey me aatey hain.Aaj tumhari zariye se unki neki aur imandari se farz adaegi ko readers tk Allah ne pahonchaya.Tumhari jaise hassas writer ke jazbey ko salam.

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  3. उनके बारे में सुना था। किसी की सिफारिश नहीं सुनती थीं। सबके लिए एक समान सेवा का भाव। अच्छा करने वाले के साथ ईश्वर अच्छा ही करेगा।

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  4. ऐसे नेक काम करने वाले लोगों को आपने अपने इस लेख में याद किया और हमें भी इनके कामों से अवगत कराया इसके लिए आपका दिल से धन्यवाद। वो बच्ची जहां भी हो खूब खुश रहे। सिस्टर बानो की आत्मा को शांति मिले। सादर नमन सिस्टर🙏
    - अवंतिका, लखनऊ

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