बुधवार, 26 जुलाई 2023

सुनील दुबे- कुसुमादपि कोमल, वज्रादपि कठोर

वरिष्ठ हिन्दी पत्रकार और अपने समय के महत्वपूर्ण संपादक सुनील दुबे के कुछ साथी पत्रकारों के निजी संस्मरणों पर आधारित पुस्तक सुनील दुबे- कुसुमादपि कोमल, वज्रादपि कठोर का लोकार्पण समारोह 23 जुलाई 2023 को हुआ। 

समारोह में उनकी शख्सियत की खूबियों पर बेशुमार बातें सामने आईं। हिन्दुस्तान में मेरा बहुत छोटा सा वक़्त बहुत छोटी सी पोस्ट पर गुज़रा है। मगर सुनील दुबे सर की एक ख़ास बात आज भी ज़ेहन में है। गुस्से के लिए मशहूर दुबे सर अकसर मुस्कुराहट से ऐसा काम निकाल लेते थे कि अलफ़ाज़ को ज़हमत न देनी पड़े। वह भी पान की लाली में रची मुस्कराहट के साथ। ये सधी मुस्कुराहट इतनी सौम्य होती थी कि लगया था जैसे रामराज कहीं आस पास ही है। 

'सुनील दुबे- कुसुमादपि कोमल, वज्रादपि कठोर' का कवर पेज ख़ास तारीफ का हक़दार है। इस किताब में 31 पत्रकारों ने उनके संपादन काल के अपने तमाम खट्टे मीठे  अनुभवों का ज़िक्र किया है। दिनेश पाठक जी के सम्पादन में अविनाश जी और ग्रे पैरट पब्लिशर्स की बदौलत ये किताब सामने आई है। 


अभी थोड़ी ही किताब पढ़ी है। पढ़ने से पहले ही किताब की सबसे दिलकश खूबी उसके कवर पेज पर नज़र आती है। सुनील सर की शख्सियत की खूबियों में से एक उनकी मुस्कान को सुपरलेटिव डिग्री वाली तस्वीर से कवर पेज बनाने के लिए राजीव तिवारी जी का शुक्रिया।

अलल-टप

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