शुक्रवार, 9 जून 2023

पहनावे में उलझे महिला मुद्दों को शायद नए चश्मे की ज़रूरत है

फर्स्ट लेडी होने के बावजूद फोटोग्राफर की नज़र में हिलेरी क्लिंटन महज़ एक महिला से ज़्यादा नहीं। जहां कैमरामैन की कोशिश फोटोग्राफी के उन एंगिल को तलाश लेती है जिससे तंग आकर हिलेरी क्लिंटन के लिए पैंट पहनना मजबूरी बन जाता है। महिला पहनावे के ठेकेदारों से की जाने वाली इस जंग में उनकी तरक्की के कई ऐसे रास्ते बंद हो जाते हैं जिन पर सोचने और बोलने का नंबर ही नहीं आ पाता। क्या अब इस मोर्चे पर नए सिरे से सोचने और अमल करने का समय है?


ये बात ज़्यादा पुरानी नहीं है। मार्च 2019 में अमरीका अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक नया इतिहास रचने की योजना बना रहा था। नासा ने दो महिलाओं की स्पेसवॉक का इरादा किया। 25 मार्च को की जाने वाली ये यात्रा महज़ इसलिए अमल में नहीं सकी क्योंकि एजेंसी के पास ऐन मैकलीन और क्रिस्टीना कॉक के आकार के स्पेससूट अंतरिक्ष स्टेशन पर नहीं थे। ...और इस तरह पृथ्वी से चार सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक ऐतिहासिक घटना दर्ज होने से रह गई। 

स्पेसवॉक पर जाने के लिए महिलाओं की पोशाक की कमी उनके सफऱ का रोड़ा बन गई। मगर दुनिया में इन्ही कपड़ों की बात करें तो हम पाते हैं कि यूरोप और ब्रिटेन जैसी आज़ाद और विकसित जगहों पर आज भी महिलाओं की पोशाक से जुड़ा उत्पीड़न कामयाबी के हर सफ़र को कई क़दम पीछे धकेल देता है।

 भारत में पिछले दिनों राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े सामने आये तो बताने और छुपाने वाली मीडिया ने रच रच कर हेडलाइन बनाई और एक से एक एंगिल तराश कर ख़बरें पेश की। इस तरह से एक सालाना ख़ानापूरी की रस्म अदायगी हो गई। अब इन आंकड़ों को सहेजकर कई बहसों, चर्चाओं और गोष्ठियों का कच्चामाल बन जायेगा और एक और ख़ानापूरी अंजाम को पहुंचने लगेगी। इन सबके बीच स्पेसस्टेशन पर स्पेससूट की कमी जैसी बात का दरकिनार होना लाज़िमी है। 

पूर्व राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने अपने पहनावे पर दुनिया के नज़रिए को लेकर जो खुलासा किया है वह हैरान करने वाला है। अमेरिका के 42वें प्रेजिडेंट की पत्नी की हैसियत से हिलेरी 1995 में ब्राजील की राजकीय यात्रा पर थीं। वह बताती हैं कि इस सफर के दौरान उन्हें जो तजुर्बा हुआ उसके नतीजे में उस दिन के बाद से उन्होंने स्कर्ट के बजाय पैंटसूट पहनना शुरू कर दिया था।  

पूर्व राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन बताती हैं कि इस ब्राजील यात्रा के दौरान उन्होंने क्रीम कलर की स्कर्ट पहन रखी थी। इस बीच मौजूद फोटोग्राफरों ने नीचे से उनकी तस्वीरें लीं। सीबीएस संडे मॉर्निंग की होस्ट नोरा 'डॉनेल से जारी बातचीत में हिलेरी कहती है- 'मैं सोफे पर बैठी थी और मीडिया को अंदर आने की इजाज़त दे दी गई। उनकी एक टीम तस्वीरें ले रही थी। 

जानकारी के मुताबिक़ इस दौरे की कुछ ऐसी तस्वीरें जिसमे कथित तौर पर उनका अंडरवियर दिखाई दे रहा था, बाद में ब्राज़ील की एक अंडरवियर बनाने वाली कंपनी द्वारा अपने विज्ञापन के लिए इस्तेमाल की गई। 

हिलेरी क्लिंटन आगे बताती हैं- 'अचानक व्हाइट हाउस को इन होर्डिंग्स के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हो गई, जो मुझे बैठा हुआ देख रहे थे। मुझे लगा था कि मेरे पैर जुड़े हुए हैं लेकिन जिस तरह से तस्वीरें बनाई गईं थीं उसमे कुछ नज़र रहा था। और तब से मैंने हर समय फ़ोटोग्राफ़रों की मौजूदगी का भी ख़्याल रखना शुरू कर दिया।' हिलेरी क्लिंटन अपनी जारी रखते हुए कहती हैं- 'मैं स्टेज पर होती थी, सीढ़ियां चढ़ रही होती थी और वह नीचे होते थे। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती थी इसलिए मैंने पैंट पहनना शुरू कर दिया।  

फ़्रांस में तकरीबन दो बरस पहले 22 वर्षीय एलिज़ाबेथ पर स्ट्रासबर्ग शहर में दिन के उजाले में हमला किया गया था। महिला ने फ़्रांस ब्लू अलसैस रेडियो को बताया कि जब वह घर जा रही थी, तो तीन लोगों में से एक ने कहा- ‘उस स्कर्ट वाली वेश्या को देखो।‘ फ्रांसीसी पुलिस ने शिकायत के बाद जांच शुरू की तो पाया कि तीन पुरुषों ने स्कर्ट पहनने के कारण उसके चेहरे पर मुक्का मारा। तीन में से दो लोगों ने उसे जकड़ा और तीसरे ने उसके चेहरे पर घूंसा मारा। इस पिटाई से उसकी आंख काली हो गई थी। वह बताती हैं कि एक दर्जन से अधिक लोग हमले को देख रहे थे लेकिन किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया। इस हमले की सजा के तौर पर मुजरिम को दो महीने की जेल की सजा दी गई थी। अपनी सफाई में इस शख्स का कहना था कि महिलाओं में से एक ने अनुचित कपड़े पहने हुए थे, इसलिए उसने उसे जमीन पर धकेल दिया।

फ़रवरी 2019 में इंडिपेंडेंट की ओर से लंदन में एक अध्यन किया गया। इसमें रेप और शॉर्ट ड्रेस के मुद्दे पर 1104 वयस्कों से बातचीत की गई। सवालों के जवाब देने वाले ये लोग ब्रिटिश नागरिक थे। इस अध्ययन के अनुसार बड़ी संख्या में पुरुषों का मानना है कि अनुचित या अपर्याप्त कपड़े महिलाओं के बलात्कार का कारण बनते हैं। इन लोगों के अनुसार जो महिलाएं खुले कपड़े पहनती हैं, उनमें यौन उत्पीड़न का खतरा अधिक होता है। इस सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि एक महिला के कपड़े जितने छोटे होंगे, उसके यौन उत्पीड़न की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इस शोध से यह भी पता चला कि पुरुष इस विचार को महिलाओं की तुलना में अधिक बढ़ावा देते हैं। इस मत के समर्थन में बोलने वाली महिलाओं की संख्या 41 प्रतिशत थी। 

इस सम्बन्ध में डबलिंग रेप क्राइसिस सेंटर की ओर दिया गया वक्तव्य पुरुष मानसिकता का ख़ुलासा करता है। उनके मुताबिक़ शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस तरह ज़्यादती का शिकार होने वाली महिलाओं को इस समाज में निशाना बनाया जाता है और सारा इलज़ाम भी उन्ही पर लगाया जाता है।

संगठन प्रमुख न्यूलिन ब्लैकवेल के अनुसार यह सिर्फ़ एक वाहियात और अपरिपक्व विचार है और इस बात का कोई व्यहवारिक प्रमाण नहीं है कि महिलाओं के कपड़ों का सम्बन्ध उनके बलात्कार के रुझान से जुड़ा हो। 'हम जानते हैं कि बलात्कार का शिकार होने वाली औरतों के कपड़े हमेशा एक जैसे नहीं होते हैं। यह विचार कि ढेर सारे कपड़ों में लिपटी औरतों का यौन उत्पीड़न नहीं किया जाएगा, एक सदियों पुराना फ़लसफ़ा है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चला रहा है। महिलाएं जब ज़्यादती का शिकार होती हैं तो उनमे से बहुत सी ऐसी थीं जिन्होंने जींस पहनी हुई थी, या वह अपने स्कूल यूनिफॉर्म में थीं। यहां तक कि वह अपने सोने के कपड़ों में थीं।'

आगे उन्होंने आगे कहा- 'हम उस महिला को दोष देते हैं जो रेप की शिकार हुई है। हम उनसे कहते हैं कि अगर आप ऐसा कुछ कर लेतीं तो बच सकती थीं। अगर आपने ऐसा कुछ किया होता तो शायद ऐसा नहीं होता। यह अनादि काल से होता रहा है, जैसा कि बाइबल में आदम ने परमेश्वर से कहा- स्त्री ने मुझे उकसाया'

 क्राइसेज़ सेंटर के मुताबिक़, बलात्कार शक्तिशाली द्वारा ज़बर्दस्ती और वर्चस्व का कार्य है। इसमें किसी भी पीड़ित की खूबसूरती या उसके कपड़े बहुत कम अहमियत रखते हैं। आंकड़ों के अनुसार जिन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया उनमें से 45 फ़ीसद मुजरिम उन महिलाओं के क़रीबी थे या किसी समय में उनके दोस्त रह चुके थे।
यूके के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 38 फ़ीसद मामलों में अपराधी परिवार के सदस्य थे और केवल 13 फ़ीसद ऐसी महिलाएं थीं जो बलात्कारी की पहचान नहीं कर सकीं और मामला अजनबी रेपिस्ट के ख़िलाफ़ दर्ज किया गया।

डरहम यूनिवर्सिटी की डॉ. हाना बाउज़ के मुताबिक यह बेहद निराशाजनक स्थिति है। इसके बारे में जागरूकता फैलाने के तमाम अभियानों के बावजूद सब कुछ ठीक वैसा ही है जैसा सदियों से चला रहा है। अपनी बात में वह कहती हैं- 'मैं बहुत परेशान हूं कि हमने इस मुद्दे पर ज़्यादा तरक़्क़ी नहीं की है। समाज में हमेशा एक ऐसा निश्चित वर्ग होता है जिसे आमतौर पर स्थिति की उचित समझ नहीं होती है। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि अब तक स्थिति में काफ़ी सुधार हो गया होगा। यह स्टडी हमारी धारणाओं में एक बहुत ही बुनियादी ग़लती की तरफ इशारा करती है। यह जैविक प्रवृत्ति (Biological instinct) का मामला नहीं है। यह एक बहुत ही बुनियादी समस्या है जिसमें सारा इलज़ाम ज़्यादती का शिकार होने वाली महिलाओं पर मढ़ दिया जाता है। हालांकि, उनमें से अधिकांश अपने घरों के अंदर सुरक्षित माहौल में ज़्यादती का शिकार होती हैं। आपने क्या पहना हैइस बात से रेप करने वाले का कोई लेना-देना नहीं होता है।

शकीला फोर्ब्स बेल फैशन की दुनिया का बुलंदी छूने वाला नाम है। शकीला पहली अश्वेत महिला हैं जिसने लन्दन की यूनिवर्सिटी से फ़ैशन साइकोलॉजी की पढ़ाई की है और लंदन कॉलेज ऑफ फ़ैशन से एमए किया है। पढ़ाई के अंतिम वर्ष में उनका शोध का विषय था 'वस्त्र और जातिवाद' था, जिसमें उनका विषय था कि अमरीकी नीग्रो ट्रायवन मार्टिन की हुडी ने क्रूर हत्या में किस तरह भूमिका निभाई। वह फ़ैशन और मनोविज्ञान दोनों की छात्रा थी और अब अपनी वेबसाइट, फ़ैशन इज साइकोलॉजी के माध्यम से दोनों को एक साथ लाती है, जो फ़ैशन पर अतिथि लेखकों को पेश करती है और हमारे दैनिक जीवन में जटिल वैज्ञानिक सिद्धांतों को लागू करती है। वह उपभोक्ता व्यवहार और प्रेरणा की पहचान करने के लिए दुनिया की मशहूर कंपनियों के साथ भी काम करती है।

ये विकसित देशों का हाल है तो विकासशील देशों का अंदाजा लगाया जा सकता है। शायद इन मुद्दों को नए सिरे से देखे, समझे और उन पर अमल किये जाने की ज़रूरत है। इन बातों पर ग़ौर करने पर हम पाते हैं कि क्रिमिनल और क्राइम अगर बरक़रार है तो उससे मुक़ाबले के जवाबी हथकंडे भी हर दिन तैयार हो ही रहे हैं। जिसमे प्रशासन, पुलिस, न्यायपालिका के अलावा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण भी शामिल है। इतनी संस्थाओं सहित निजी एनजीओ और तमाम व्यवस्थाओं के बाद भी अगर हम अभी तक महिला सुरक्षा की नीव ही मज़बूत कर रहे हैं तो इसकी इमारत पर काम कब करेंगे। और इस बीच जाने कितनी अंतरिक्ष तक पहुंच पाने वाली यात्राओं का खामियाज़ा भुगतेंगे

अलल-टप

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