सोमवार, 22 जून 2020

बस तुम और सिर्फ तुम...


तुझ को देखा तो सेर-चश्म हुए 

तुझ को चाहा तो और चाह न की

जो कभी पैर में लिपट कर मेरे घुटने तक आते थे, आज हम उनके कंधे तक आ गए। इस तस्वीर को देखा तो गुज़रे वक़्त की रफ़्तार का एहसास हुआ।करीब 12 साल पहले मुम्बई की एक दोपहर। बड़ा अब्दुल रहमान और छोटा अब्दुल रहीम।

चेहरे की मासूमियत पर मत जाइयेगा। दोनों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि छोटे में टशन कूट कूट कर भरी थी। इनकी आंखों में मासूमियत से ज़्यादा शरारत हमेशा पायी गई। इनका जिगरा भी हमेशा बड़े से बड़ा रहा। शरारत करनी है, तो करनी है और वो भी डंके की चोट पर। जब तक नासमझ थे तो बस ये ही ये थे। सामने वाले की उम्र, रुतबा, कद और वज़न कोई भी चीज़ इनके लिए बेमानी। बड़े में कुछ लिहाज़ रहा तो उन्होंने अपने शौक़ पूरे करने के लिए ख़ामोशी का रास्ता अपनाया। यक़ीन मानिए इनकी इस मासूम सूरत और खामोश फितरत ने एक वक़्त में मेरे अंदर छठा, सातवां, आठवां...न जाने कितने सेंस डेवलप कर दिए थे।


हमारे बचपन में परवरिश का फार्मूला होता था- 'बच्चे को खिलाओ सोने का निवाला और देखो शेर की नज़र से'। अपनी हैसियत के हिसाब से निवाले का इतिज़ाम करने के बाद मेरे लिए शेर का किरदार निभाया कपड़े टांगने वाले हैंगर ने। ज़रूरत पड़ने पर तबियत से चला। हम ज़रा पुरानी रवायतों वाले तौर तरीके पसंद करते हैं। भारी भरकम रिसर्च कभी समझ नही आई कि बच्चे को मारो मत उसकी साइकोलॉजी पर बुरा असर पड़ेगा। अपने पास इतना वक़्त नही था कि साइकोलॉजी समझते हुए आयुर्वेद और यूनानी वाला लंबा इलाज करते और माद्दा निकालते। हमें हमेशा से क्विक रिजल्ट वाला ऐलोपैथी ट्रीटमेंट समझ आया है। ये कारगर भी रहा और इसमें एक टिपिकल इन्डियन अम्मा होने का सुख भी मिला। इतना प्लान ज़रूर किया था कि किस उम्र से किस उम्र तक, कब कहाँ और कितना मारना है।

अब तक का सफर खैरियत और इज़्ज़त से गुज़र गया है। उम्मीद है आगे का भी गुज़र जायेगा। इनके आने वाले कल को लेकर अब इतने सवाल और बेचैनियां भी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। अपनी ड्यूटी निभाने की प्रेक्टिस हो गई है। इन्हें भी अपने सवाल शेयर करने की आदत हो गई है। इनका एक सवाल आज भी महसूस करते हैं जो बचपन में एक बार इनकी ज़बान पर आया था- अम्मा! हम इतने बड़े कब हो जायेंगे कि लेट नाइट घर आ सकें?
...और मेरा जवाब था मेरी ज़िंदगी में ऐसा मुमकिन नहीं।


शुक्रवार, 5 जून 2020

ये मत कहियेगा कि इन बच्चों में तेवर नहीं




कार्टून की दुनिया के छोटा भीम की शादी छुटकी से न होकर ढोलकपुर की राजकुमारी इंदुमती से हो रही है। यह बात लोगों को पसंद नहीं आ रही है। इसी बात से नाराज होकर सोशल मीडिया पर यूजर्स मीम्स और ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं। ट्विटर पर ये कैरेक्टर टॉप ट्रेंड में जगह बनाए हुए हैं। इन कैरेक्टर से जुड़े हैशटैग को ट्रेंड में देख कर लोग हैरान हैं। इन ट्वीट्स के जरिए कार्टून कैरेक्टर छुटकी को इंसाफ दिलाने की आवाज उठाई जा रही है।#JusticeForChutki जैसे ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं। इससे पहले भी डोरेमोन में जब शिजुका की शादी डेकिसुगि से हुई थी तो भी काफी बच्चों को नागवार गुज़रा था। मगर छोटा भीम का मामला ट्विटर तक आ गया है। 




अब ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि इन आन्दोलनों में शामिल हों या ट्विटर छोड़ दें। पूरा लॉकडाउन रामायण और महाभारत की आसमान छूती TRP के बाद ये खबर पढ़ना अच्छा नहीं लग रहा।

अलल-टप

सीमा का कविता संग्रह "कितनी कम जगहें हैं" को आये काफी दिन गुज़र गए और कुछ भी सलीके से लिखने का मौक़ा नहीं मिला। फीलिंग जेलस से लेकर ...