प्यारी हिल्डा कैसी हो।
मैं तुम्हे ये चिट्ठी उस वक़्त लिख रहा हूं जब क्यूबा के बादल ज़ोरदार बारिश कर रहे हैं और हम पहाड़ों की गुफ़ाओं में पनाह लिए हुए हैं।
ये चिट्ठी लिखते समय हमारे चारों तरफ तोपख़ाने के गोलों की बौछार है। हम इन्तिज़ार कर रहे हैं कि गोले आने बंद हो जाएं, मूसलाधार बारिश रुक जाए और सुबह का सूरज निकल आए ताकि हम खाना लाने के लिए बाहर निकल सकें। हम तर हो चुके कपड़े सुखा सकें और थोड़ा सा तंबाकू भी ला सकें।
हिल्डा !!
मुझे बाहर से गोलियों के तबादले की आवाज़ें आ रही हैं। मुझे अब अपनी बंदूक लेकर निकलना होगा। ये लोग कमीने हैं। रात में हमला करते हैं ताकि हम आराम न कर सकें। ये हमारे हौसले पस्त करना चाहते हैं लेकिन तुम जानती हो?
मुझे उनका ये तक़ाज़ा क़ुबूल है कि वह हम पर रात में हमला करें, इसलिए कि हम उनको दिन में मिलेंगे ही नहीं। क्योंकि उस वक़्त वह खुद हमारे हमले की ज़द में होंगे...
अगर मेरी वापसी हुई तो मैं तुम्हें एक और चिट्ठी भेजूंगा।
सदा से तुम्हारा प्रेमी
अर्नेस्ट चे ग्वेरा
It's an expectionally written letter👍👍
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