गुरुवार, 3 जून 2021

कोरोना को कुछ कुछ अलविदा कह दिया है...

कोरोना ने कैसे कैसे दिन दिखाए न पूछिए मगर टीकाकारी ने आज रूह को सुकून दे दिया। हफ्तों से जिन नज़रों को नज़ारों का जाला लग गया हो उसे पुराने लखनऊ की दिलफरेब इमारतों का दीदार हो जाए, तो दिल की गहराइयों से 'वल्लाह' के साथ खुद बखुद इस शहर को नज़रेबद से महफूज रखने की दुआ निकल जाती है। 


छोटे इमामबाड़े की टीकाकारी मुहिम का माहौल ऐसा पुरसुकून था जैसी खामोशी दिल्ली के लोटस टेंपल में महसूस होती है। हर काम इतने सलीके से होता नज़र आया कि माइक को अपने वहां होने पर अफसोस हुआ होगा। इमारत तो सदा की खूबसूरत थी, हल्की हवाओं के साथ नज़ाकत से लहराती सफेद शामियानों की झालरों ने फिज़ा में रूहानियत घोल दी थी। 


बड़े बड़े मैदानों में हरी घास वाली क़ालीन पर सुर्ख़ कुर्सियों की कतार यहां के लोगों को कोरोना से निजात दिलाने के लिए इस्तक़बाल कर रही थीं। डोज लेने के लिए छोटे इमामबाड़े में दाखिल होने वाले इंसान की चाल में नवाब साहब और बेगम साहिबा सा खुमार था।

 वैक्सीन के लिए तैनात स्टाफ के चेहरे पर ड्यूटी का बोझ नही माहौल का इत्मीनान नज़र आया। जिन्हे पुलिस के खूंखार होने की शिकायत है वह भी इस अदब की सरजमीं पर आकर अपना ग़म गलत कर सकते हैं। जी! यहां तो उन्होंने ऐसे ही मुखातिब किया था। आप इधर से आ जाएं! आप यहां अपना नंबर आने तक इंतजार करें और आप यहां कुछ दूरी बना कर बैठ जाएं! 


वाकई बागों के शहर में दिल बाग़ बाग़ हो गया। पहली डोज लग ही गई। वापसी के वक्त खुशगवार मौसम की ठंडी हवा कानो में सरगोशी करती गुज़र गई....

जैसे हौले से चले बाद ए नसीम

जैसे बीमार को बेवजह क़रार आ जाए।


20 टिप्‍पणियां:

  1. कितना सरस और सुंदर लिखा समीना❤️

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  2. یہ تحریر اس دور کاحسین دستاویز ہے جو آئندہ صدیاں پڑھیں گی. بے حد دلچسپ انداز.

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  3. बहुत शानदार लिखा। वैक्सीन तो लगवाना जरूरी है। लेकिन आपने लखनऊ को फिर दिल में बसा दिया। धनवाद।

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  4. Beautiful heart, excellent writing keep safe herself and family in pandemic

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  5. Bahot khoob likha h dil chahne laga Nawab or begaum ban kr ek dose le hi li jai

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  6. लिखा तो अच्छा है ही समीना तुम्हारी भाषा कितनी खूबसूरत है. खूब प्यार तुम्हे. ऐसे ही लिखती रहो.

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