बहुत अरसे से आप से बात करना चाह रहे थे मगर तमाम मसरूफियतों के चलते नहीं की। एक और वजह थी कि खुद को धोखा दे रहे थे कि शायद आप दोनों मान जाएँ और हमें मुखातिब न होना पड़े।
अब एक छोटी सी गुज़ारिश है कि मेरी इस चिट्ठी को पूरा पढ़ियेगा। ये सिर्फ
गुज़ारिश है। बाक़ी जैसी आपकी मर्ज़ी।
क़ायदे से कहना तो अपने बेटे को चाहिए था मगर माशा साहिबा आपको भी कहने
का दिल कर रहा है। दरअसल आप दोनों उम्र के उस दौर में हैं जहाँ अपने से बड़ा हर सामने
वाला बेवक़ूफ़ और जाहिल नज़र आता है। क़ुदरत का सितम देखिए जो वक़्त आपके कुछ बनने और करने
का होता है, उसी वक़्त में आपके हार्मोनल चेंजेस आपका सबसे सख्त इम्तिहान लेते हैं।
हर लड़का लड़की इस बदलाव पर बेकाबू हो दुनिया को अपने क़दमों में समझता हैं।
बहरहाल मेरा बेटा बस नाम का ही मेरा बचा है। आपने उसे काबू कर लिया। इसमें
मेरे बेटे की नालायक़ी थी या आपकी सलाहियतें, यह तो नहीं मालूम मगर इतना मालूम हो गया
कि मेरा बेटा एक बड़ी ही कमज़ोर शख्सियत का मालिक निकला।
न न... आप दोनों कतई ये मत सोचियेगा कि पुरानी रवायती अम्माओं की तरह
हम बेटे को पालकर उसकी कमाई खाने का कोई ख्वाब देख रहे हैं। हम तो ऐसी माँ है जिसने
अपने बच्चे के लिए उसके सब्जेक्ट भी उसकी मर्ज़ी से चुनने की इजाज़त दी थी, फिर आप दोनों
आज कल कभी चांद सितारों के सफर पर होंगे, कभी बादलों की सैर पर और इन सबके साथ एक साथ
जीने मरने के मरहले तय कर रहे होंगे। लाइफ पार्टनर चुनने में भी हम कभी उसके खिलाफ
न जाते। अपने बच्चे को बस हमने एक तरबियत दी थी कि बेटा कभी झूठ मत बोलना। अफ़सोस की
आपके साथ ने उसे झूठ बोलना सिखा दिया मिस माशा।
मेरा बेटा कभी मेरा गुरूर हुआ करता था। पढ़ाई में बड़े शानदार नंबर आते
थे उसके। फिर उसने खुद को ज़्यादा क़ाबिल समझ लिया। इतना कि बाक़ी सब उसे जाहिल नज़र आने
लगे। आपकी सोहबत में आने से बहुत पहले उसने सिगरेट की लत अपना ली थी। एक माँ के लिए
ये खबर जानलेवा न सही नींद उड़ा देने वाली होती है। उसे हर तरह से समझाया और हर बार
उसने झूठ बोला। अब हमने सब्र कर लिया है। उसने बताया था कि एक दिन उसने खुद को बहुत
कमज़ोर महसूस किया और सिगरेट से उसे ताक़त मिली। कमाल है एक पढ़ा लिखा इंसान अगर एक तबाह
कर देने वाली चीज़ को ताक़त पाने का जरिया समझता है तो मेरे मुल्क की जाहिल अवाम से हमे
कोई शिकायत नहीं। खासकर उन बेचारे लोगों से जिनके पास रहने, खाने, सोने के भी इंतिज़ाम
नहीं।
हमने हर मुमकिन जतन किया, फिर मेरा इस इलाक़े में शिफ्टिंग का फैसला हमें
यह उम्मीद दिला गया कि अब शायद इनका अकेलापन
दूर हो जायेगा और इनकी लत छूट जाएगी। मगर हम मुग़ालते में थे। यहाँ आकर इनकी कमज़ोरी
और बढ़ गई। अब इन्हे आपकी भी ज़रूरत दरकार हो गई।
आपको क्या इलज़ाम दें मिस माशा! जब अपना ही सिक्का खोटा हो। आप तो उसकी
ज़िंदगी पर ऐसा छायीं कि उसे जूठ के साथ लफ़्फ़ाज़ी और बदकलामी का भी हुनर आ गया। माफ़ कीजियेगा-
जब जब उसने ये झूठ बोले कि उसका आपसे कोई ताल्लुक़ नहीं तब तब मजबूरन हमें उसके साथ
आप पर निगाह रखनी पड़ी। हमें उससे कोई मगर ये
देखकर अफ़सोस होता था कि एक लड़की अपने घर से बैठे बैठे किसी लड़के की ज़िंदगी कितनी खूबी
से बर्बाद कर रही है और उसे इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं।
अब ये मत कहियेगा कि अपने कुछ नहीं किया। अगर उसके साथ बतियाने वाली चैट
डिलीट नहीं की है तो अपनी बातो के कुल घंटों का हिसाब जोड़ लीजियेगा। ये वह घंटे थे
जो हमने उसे पढ़ाई के लिए मुहैया कराये थे। उसे अपनी हैसियत में हर मुमकिन सहूलियत देकर
यह वक़्त निकला था। इन्ही घंटों में आपकी मोहब्बत के चोंचलों ने उसका रिज़ल्ट तबाह कर
दिया। मेरे बेटे का दसवीं का नतीजा 84 % था और बारहवीं में जिस हिसाब से वह तैयारी
कर रहा था यक़ीनन 85 % लाता। ऐसा सिर्फ मेरा नहीं उसके टीचर्स का भी मानना था।
आपको और आप जैसी तमाम लड़कियों को सैल्यूट जिन्होंने इस मुल्क के कितने
ही लड़कों की ज़िंदगी और मुस्तक़बिल तबाह कर दिया। एक अच्छी मार्कशीट शायद उसके अच्छे
मुस्तक़बिल की अलामत होती। फिर भी आप दोनों इसमें बराबर के शरीक है इस लिए पूरी शर्मिंदगी
का बोझ अकेले उठाने की ज़रुरत नहीं। हां! हमें
ये नहीं मालूम कि आप ने अपनी इन कारगुज़ारियों की खबर अपने वालिदैन को दी है या नहीं।
मुमकिन है दे दी हो।
सुना है आजकल की लड़किया पापा की परियां होती हैं। बड़ी
अच्छी बात है मगर मेरी नज़र में हर उस बाप को, जिसे अपनी बेटी से मोहब्बत है नाज़ुक परी
नहीं मज़बूत चट्टान बनाना चाहिए। हुस्न और नज़ाकत की जगह हुनर और क़ाबिलियत ज़यादा ज़रूरी
है। ये हमेशा साथ देता है। अरे हां! याद आया। मेरी मुखबिरी की बदौलत हमें पता चला है
कि आप ताइक्वांडो सीख रही हैं। अच्छी बात है मगर सेल्फ डिफेन्स की हद तक। तोड़ना बड़ा
आसान होता और जोड़ना बेहद मुश्किल। किसी के हाथ पैर हों या किसी का घर। साहिल के मामले
में यह भी नहीं कह सकते कि आपने यह सब अनजाने में किया होगा। अपने डिफेन्स के नाम पर
किसी के हाथ पैर तोड़ना समझ आता है मगर अपने शौक़ के लिए किसी का आशियाना और मुस्तक़बिल
तबाह करना अच्छी बात नहीं। आप बच्ची नहीं। खैर से बालिग़ होने वाली होंगी। मेरा बेटा
भी अभी बालिग़ नहीं हुआ है। जल्दी एडमिशन कराने की वजह से 18 बरस का पूरा होने से पहले
उसने बारहवीं का इम्तिहान पास कर लिया है। अब पता नहीं आप उससे छोटी हैं या बड़ी। हाँ
इतना मालूम है कि आपकी सालगिरह उससे 12 दिन पहले आती है। दरअसल हमारी सोसाइटी में एक
और बीमारी भी पाई जाती है। मां बाप एडमिशन से पहले बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट अपनी मर्ज़ी
से बनवा लेते हैं। मेरे साथ भी ऐसे तमाम बच्चे पढ़ते थे जिनकी असली पैदाइश की तारीख
कुछ और जबकि सर्टिफिकेट में घटाकर कुछ और कर दी जाती है। एक साहब ने तो बड़े जोश में
यह भी बता दिया था कि अगर कल को बच्चा सरकारी नौकरी में आता है तो रियायरमेंट असली
उम्र के बाद होगा और उसे कई और महीने की सरकारी सेलरी मिल सकेगी। आज भी सरकार और ऊपरवाले
की आँख में धूल झोंकने वाले यह सब करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं।
खैर यह सब आपके घरेलू मामले हैं और इसमें दखल देने का
हमें भी हक़ नहीं। काश आपने भी कुछ ऐसी सोच रखी होती मिस माशा! तो मेरी घरेलू ज़िन्दगी
भी पुरसुकून होती और हमें आपके करीबियों से कोई मुखबिर न तलाश करना पड़ता।
बहरहाल आपके घरेलू मामलों में हम दखल न देते लेकिन मेरा
कंसर्न मेरा बेटा है। वही बेटा जो आपसे मिलने से पहले बड़ा सच्चा और सीधा हुआ करता था,
वही बेटा जो लड़कियों की मुखालिफत करता था और उसका पूरा बचपन हमें ये समझाने में बीता
कि लड़के और लड़कियां अल्लाह की बनाई मख्लूक़ हैं, दोनों बराबर हैं। किसी से हमें नफरत
का न तो हक़ है न इजाज़त। उसे लड़कियों से यह शिकायत थी कि उनके लिए स्कूल घर और बाहर
सब जगह सॉफ्ट कॉर्नर रखा जाता है और लड़कों के साथ ज़्यादती हो जाती है। मगर कमाल है
आपकी ज़ात का। उसकी जिस शिकायत को हम प्यार और मोहब्बत से न दूर कर सके उसे आपके हथकंडे
ने ऐसा घोलकर पिलाया कि मेरा बेटा आज आपका असीर है। ऐसा असीर की मेरे मुक़ाबिल भी खड़ा
होना सीख गया। उसे हमसे शिकायतें होने लगीं। जबसे आपके फरेब में आया है तबसे हाल यह
है कि वह तबतक तो ठीक है जबतक उसकी मर्ज़ी की बातें हो रही हों मगर जहाँ उन्हें कुछ
नागवार लगा वहीँ उनकी बदली शख़्सियत नुमाया हो जाती है।
ये बताना इसलिए ज़रूरी है कि आप ये न सोचें कि मेरे घर
से या आपके और साहिल की दोस्तों में कोई मेरा मुखबिर है। यह मुखबिर आपका बड़ा ही क़रीबी
है और आपको अंदाजा ही नहीं। उसके पास तो आपको तबाह करने के बेशुमार सुबूत भी हैं। ऐसे
ऐसे सुबूत जिन्हे देखकर आपके होश उड़ जायेंगे और ऐसे करीबियों से यक़ीन उठ जायेगा। मगर
मेरा यक़ीन कीजिये कि हमने उसमे से कोई भी सबूत नहीं लिया। न ही मेरी किसी को ब्लैकमेल
करने में दिलचस्पी या यक़ीन है।
मिस माशा क्या ही अच्छा होता कि आप ज़रा सब्र से काम लेतीं। खुद भी कुछ बन जातीं और उसको भी कामयाब हो जाने देतीं। ये वक़्त आपके स्कूली इम्तिहान के साथ ज़िंदगी के इम्तिहान का भी था। वैसे एक बात और बता दें स्कूल के इम्तिहान तो एक वक़्त में ख़त्म हो जाते हैं मगर ज़िंदगी के इम्तिहान आखिरी सांस तक चलते ही रहते हैं। जैसे आप मेरे सामने एक इम्तिहान बन कर खड़ी हुई हैं और इसे हल करना मेरे लिए ज़रूरी है।
शायद साहिल ने आपको बताया हो कि मेरे खानदान में आजतक हर लड़के लड़की से उसकी शादी से पहले यह सवाल पूछा गया है कि अगर उसकी अपनी कोई पसंद हो तो बता दे। यक़ीन कीजिये मेरे घर का कोई भी इंसान आजतक इस सवाल पर हां का जवाब न दे सका और सबने अपनी शादी का फैसला अपने बड़ों पर छोड़ा। साहिल से भी उसकी शादी से पहले हम यही सवाल करते और उसकी पसंद का एहतराम करते। मगर आपने मेरा दिल बुरा कर दिया है। मेरा बड़ा नुक्सान किया है आपने। अब मेरा दिल कभी भी आपको क़ुबूल नहीं कर पायेगा। मुमकिन है साहिल को मेरे इस फैसले से ऐतराज़ हो और ये भी मुमकिन है कि वह आपके साथ जाना चाहे तो बस इतना बता दें कि आपका साथ पाने के लिए उसे हमें छोड़ना होगा।
मेरा बड़ा ही सीधा सा उसूल है कि नापसंद लोगों के साथ रहने के बजाय अकेला रहा जाए।
ये मत समझियेगा कि हम अपने बेटे की किसी ज़िम्मेदारी से पीछे हैट रहे हैं। हमें अपना
फ़र्ज़ पूरा करना आता है और कोशिश भी यही है कि उसमे कोई कमी न होने पाए। रही बात आप
दोनों की तो आप अब अगर अभी भी उसमे दिलचस्पी रखती हैं तो ये भी नोट कर लीजिए कि वह
बिना बाप का है और हमने उसके मां बाप दोनों बनकर पाला है मगर आपकी उसमे दिलचस्पी उसे
माँ - बाप दोनों से महरूम कर देगी।
आज आपकी सालगिरह है मगर मेरा दिल आपको दुआ देने को राज़ी
नहीं हो रहा बेटे के लिए हर हर सांस से दुआ
है कि अल्लाह उसे नेक हिदायत दे। दोनों जहाँ की कामयाबी दे।
ये नही पता कि हुआ क्या है? लेकिन आपकी पोस्ट पढ़कर इतना एहसास हो गया कि कुछ इतना बुरा जरूर हुआ है कि जिसने एक मां के दिल को दुखी किया है। मां जब रो पड़ती है तो सैलाब जरूर आता है, जो किसी को खुश नही करता। साहिल को ज़रूर बात को समझना होगा और माशा को उसे सही रास्ते पर लाना होगा।
जवाब देंहटाएंउम्मीद करती हूं की जल्दी दोनों समझ जायेंगे और सभी की जिंदगी खुशहाल होगी।
अमीन।
-ava, lko