बुधवार, 17 मई 2023

''ये साथ सलामत रहे''

हमसफ़र, सफर और साहिल। उसके आगे समंदर। हम ज़मीन पर चलने वाले राही, भला आसमान के नज़ारों से हमें क्या लेना। तुम्हारा साथ ही मेरे पंख है और तुम्हारा हाथ ही मेरी पतवार। फिर आगे ठाठे मारता समंदर हो या पीछे गुज़रे पथरीले रास्ते। अपने हिस्से का कुछ सफर तय करने के बाद ये जाना है कि तुम्हारे साथ चलना ही मेरी मंज़िल है, मेरी कामयाबी है।  

हमें यहाँ तक सलामत लाने वाले बेशुमार क़दमों का शुक्रिया। हमें और आगे ले जाने आने उन अनगिनत क़दमों का भी शुक्रिया जो हमें आने वाले वक़्तों में बढ़ाने हैं। हमने तो बढ़ना जाना है। आगे बढ़ते जाना।

सुना है हम ज़मीन पर रहने वालों का आसमान के सितारों से भी नाता होता है। हुआ करे! सितारों को देखा तो है मगर उस नाते से अनजान। देखा तो बादलों को भी है। इस सफर में उसने कई बार भिगोया। ... और देखा उस सूरज को भी है जिसने देखते ही आँखों को चकाचौंध कर दिया था। उस सूरज की तपिश हमसफ़र की गिरफ्त की हरारत के आगे बेमानी लगी और बादलों का बरसना भी इन क़दमों को थामने में नाकाम नज़र आया। 

क़ुदरत मेरे चारो सिम्त है। हवा पानी बादल सूरज और अँधेरा बन कर। बारिश ने शराबोर किया, हवा ने तरोताज़ा। सूरज ने घटते बढ़ते साये बख्शे थे मगर अँधेरा उन्हें निगल गया और साथ रहा सिर्फ हमसफ़र। चांद ने भी अपने हर हर रूप में आकर हम पर निगाह रखी होगी। चाँद से भी ऊंचाई पर रहने वाले झिलमिल सितारे इसके गवाह हैं। चाँद की मौजूदगी में धुंधला गए इन तारों ने भी अमावस की रातों को टिमटिमाते हुए हमें निहारा है। 

इस हाथ का साथ हो तो इस गोल धरती के अनगिनत चक्कर लगाने की चाह है। बिना रुके बिना थके। फिर क्या साहिल और क्या समंदर। इस साथ पर क़ुदरत भी रश्क़ करते हुए कानो में सरगोशी करती गुज़र जाती है कि ''ये साथ सलामत रहे''।

1 टिप्पणी:

  1. खूबसूरत तहरीर,
    बेशक हमसफर गर साथ हो तो मंज़िल की दुश्वारियां कभी गिरां नहीं गुज़रती, यक़ीन और विश्वास जीवन में उत्साह और जोश बनाए रखने के लिये ज़रूरी है।
    इक़बाल के शेर का एक मिसरा है।
    यक़ीं महकम, अमल पैहम, मोहब्बत फातेहा आलम,,,,,,,,
    यानी पुख्ता यक़ीन, अमल और मोहब्बत ज़िंदगी को कामियाब बनाती है।

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