बुधवार, 4 दिसंबर 2019
करीना कपूर ! इस क़त्ल में तुम भी शरीक हो
मुर्ग़े की मरियल मादा 200 /- की, बकरे की भी मरियल मादा 10000 /- की और इंसान की मादा फोकट में। ये अंदाज़ उन लोगों के लिए है जिन्होंने हैदराबाद केस में ये साबित किया है। शायद उन्हें यही भाषा समझ में आती होगी। इनके चेहरे कुछ ऐसा ही महसूस करा रहे हैं। ये वह लोग हैं जिन्होंने दशकों से इस मुल्क में सबसे घटिया पान मसाले की क़ीमत को आज भी मेन्टेन रखा है।
अब ज़िक्र करते हैं एक और बिरादरी का। फ़िल्मी बिरादरी की बेहद ऊंचे घराने की अदाकारा करीना कपूर। ये अकसर अपने क़ीमती ड्रेसेस, हैंडबैग और ऐटिट्यूड को लेकर फ़िल्मी कॉलम में सुर्ख़ियों में रहती हैं। पिछले दिनों जिस बैग को लेकर पत्रकारिता ने इन्हें आसमान पर बैठाया था उसकी क़ीमत तक़रीबन 8 लाख 26 हज़ार रुपये थी।
इंसान की ये दोनों किस्में दो ऐसी बिरादरियों से आती हैं जो हमारे मुल्क का इतिहास रच रहे हैं। कैसे? इस पर भी एक नज़र डालते हैं। 9 जनवरी 2013 को यू ट्यूब पर अपलोड हुए एक गाने पर निगाह डालते हैं। फिल्म दबंग 2 में एक आइटम सांग आता है जहां करीना कपूर बताती हैं - मैं तो तंदूरी मुर्गी हूँ यार, गट्काले सैयां...
इस गाने को यू ट्यूब पर एक करोड़ 53 लाख और 40 हज़ार से ज़्यादा लोग देख चुके हैं। कितनों ने कितनी बार ये फिल्म देखी होगी और आज भी टिक टॉक पर इसके बेशुमार रसिया मौजूद हैं। इतना ही नहीं अब अगर आज की तारीख़ में कोई इस गाने को देखता और लाइक करता है उसे ये कह कर ज़लील किया जाता है कि- 'इससे भी आगे के वर्जन आ चुके हैं। कौन बैकवर्ड है जो अभी भी इस गाने को देख रहा है।' तो करीना ! तुम्हे पता होना चाहिए तुम उन लोगों के ढेरो ढेर ग़मों पर इस गाने से ऐसा मरहम लगाती हो जो अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए करोड़ों की आबादी में अपने गांव शहरों से बेघर हो गए हैं। ये वही लोग हैं जो अपने फटे कपड़े और टूटे जूते का ग़म भुलाने के लिए तुम्हारा सहारा लेते हैं।
करीना तुम खुद इस बात को बड़े फ़ख़्र से बताती हो कि तुम इंडस्ट्री की हाइएस्ट पेड हेरोइन हो। इस आइटम सांग की तुमने क्या क़ीमत वसूली होगी, का सवाल बेमानी है। तुम एक चमकते कांच के पीछे बड़े आराम से दुनिया की आधी आबादी को बकरी और मुर्ग़ी से बदतर बनाकर अपने बॉडीगार्ड के घेरे में महफ़ूज़ हो जाती हो । तुम्हे तो ये भी नहीं पता चलता कि आधी दुनिया की नुमाईंदिगी करने के साथ ही बाक़ी आधी आबादी को तुम क्या सबक़ सिखा गयीं। ये सबक़ बिलकुल साफ़ था, बस इसमें थोड़े से बदलाव हुए। मुर्ग़े और बकरे की मादा को आप अपनी औक़ात के हिसाब से खरीदकर लाये, उसे एक बार में ज़िबाह किया और भूना फिर खाया मगर जब आपको इंसान की मादा की ज़रुरत हुई तो आपने उसे अपनी मर्दानगी के बल पर क़ब्ज़ा किया, बिना मारे, नोच नोच कर खाया और उस मरी या अधमरी मादा को भून डाला।
करीना तुम और तुम्हारी बिरादरी और तुम्हारे परदे के पीछे का एक हुजूम बड़ी खूबसूरती से मां की गोद में दी गई तालीम को निगल गया। तुम यहां पर रुकीं नहीं। तुम्हे अब और कुछ याद दिलाएं? साल 2019 में तुम हिस्सा बनी लक्मे फैशन वीक का। इसकी थीम थी #FreeYourLips. इस बार तुमने एक अपने दमकते चेहरे पर ग्लैमर की और चमकीली परतें लगायीं और एक बार फिर नुमाइंदगी की आधी आबादी के बोलने की उस आज़ादी की जहां अपनी बात कहने का जरिया बना लिपस्टिक, पाउडर और काजल। यक़ीनन आज नहीं तो कल तुम्हारे इस काम के लिए तुम्हे किसी अवार्ड के लिए चुना जायेगा। जब कभी किसी बहुत बड़े प्रोग्राम में सात सितारा होटल में तुम्हारा इंट्रोडक्शन दिया जायेगा तो ये ज़िक्र आएगा की तुमने औरतों की आज़ादी के लिए बड़े काम किये हैं और तब इस फैशन वीक की दलील दी जाएगी।
तुम्हे पता है कि तुम्हारे खिलाफ कोई आवाज़ उठाने वाला नहीं है और इसलिए तुम और तुम्हारी बिरादरी बिना नकेल की ऊंटनी हो चुकी हो। जहां ज़िंदगी का मक़सद सिर्फ ग्लैमर और पैसे से जुड़ा है और ये बात तुम भी जानती हो कि अब तुम बुढ़ापे की तरफ बढ़ रही हो। तुम्हारी ही बिरादरी के तुमसे ज़्यादा शातिर नुमाइंदे और ज़्यादा पैनी धार के साथ तुम्हे दहशतज़दा कर रहे हैं। तुम्हारे लाइफस्टाइल ने तुम्हारे नोटों की हवस को और बढ़ा दिया है। इसके लिए तुम किसी भी हद तक जाने को तैयार हो। तुम्हारी मदद में मुस्तैद बाज़ार हर क़दम पर तुम्हारे रास्ते में चांद सितारे बिछा रहा है जिस पर चलते हुए तुम बाक़ी दुनिया को अपना पैरोकार बना सको।
बस एक बात और कहना चाहेंगे तुमसे ! तुम एक ऐसे घराने से आयी थीं जहां लड़कियों को पढ़ाने लिखाने का रिवाज तो था मगर इंडस्ट्री में काम करने की इजाज़त नहीं थी। तुम्हारा घराना बाहरी दुनिया के मर्दों की हवस से वाक़िफ़ था। तुमने बग़ावत की। आज़ादी पायी और ऐसी आज़ादी पायी जो आज कितनी लड़कियों की आज़ादी को निगल गई। तुम्हारी बिरादरी उस वक़्त को लाने में कामयाब हुई जहां उन मां - बाप को सैल्यूट करना चाहिए जो अपनी बेटियों को घर से बाहर पढ़ने को भेज रहे हैं। मगर तुम्हे नहीं पता कि कितने मां - बाप की तुमने हिम्मत तोड़ दी है। बहुत सी लड़कियों को तुमने उस दहलीज़ के अंदर धकेल दिया है जिन्हे दो क़दम आगे आने में सदियां लगी थीं और जिन्हे तुम्हारी आज़ादी ने 200 क़दम पीछे पहुंचा दिया है। जहां सिर्फ और सिर्फ सदियों का अंधेरा है क़ैद हैं और गम घोंट देने वाली ग़ुलामी है।
समीना खान
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बेहतरीन लेख, भावनाओं से ओतप्रोत अभिव्यक्ति। समीना जी! साधुवाद।
जवाब देंहटाएंहौसलाफ़ज़ाई का शुक्रिया।
हटाएंBehtareen write up,aalkal ki films aur unke double meaning songs par koi rok tok Nahi hai,chote chote bachche jinko Kai cheezo ke baare me theek se pata bhi Nahi hota Woh bhi double meaning gaane gaate Hain,aur in actresses Ka kya hi kehna inhone to saari hadein hi paar Kar Di hai
जवाब देंहटाएंसच
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