शनिवार, 21 मार्च 2020

भूख बहुत ज़ालिम होती है


'जान जाए लाख खराबी से 
हाथ न हटे रकाबी से' 

इसके माने आज समझ आये। इस कठिन वक़्त में भी हमारे आपके बीच इंसानों की एक ऐसी क़ौम मौजूद है जो फ़िक्र ए दुनिया से ज़्यादा फ़िक्र ए ख़ुराक़ में मुब्तिला है। ज़ात, मज़हब और ऊंच नीच से लापरवाह इस नस्ल के लोग अपने दस्तरख़्वान में मुर्ग़ - माही और पनीर - पूरी तलाश रहे हैं। मगर एक बात याद रखिएगा! अपने पड़ोस का जायज़ा ज़रूर लें। भूख बहुत ज़ालिम होती है। अकसर इन लोगों को कुछ ऐसे लोगों ने इतिहास में खुराक मुहैया कराई है जिन्हें बाद में गुजरात और दिल्ली जैसे दंगों में मुवावज़ा वसूलने के लिए बतौर असलहा इस्तेमाल किया गया है।







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